Cricket Umpire ke Kaam: अम्पायरों द्वारा किये जाने वाले कार्य

क्रिकेट अम्पायरों द्वारा किये जाने वाले कार्य (Cricket Umpire ke Kaam): सिक्के की सहायता से टॉस करके इस बात का निर्णय किया जाता है कि कौन- सी टीम पहले बल्लेबाजी करेगी और कौन -टीम गेंदबाज़ी। यह कार्य अम्पायर द्वारा किया जाता है। इसके अतिरिक्त अम्पायर ही यह निश्चित करेंगे कि खेल के दौरान कौन -सी गेंद प्रयोग की जायेगी, भोजन तथा जलपान के अन्तराल का समय कितना होगा और खेल के मैदान की सीमाएं क्या होगी।
दोनों अम्पायरों को कुछ तथ्यों को निर्धारित करना होता है, जैसे – मैच के दौरान किस घड़ी को समय मापन के लिए प्रयोग किया जाना चाहिए। निर्णय लेने के बाद इनकी पूरी जानकारी अन्य अधिकारियों को देने का कार्य भी अम्पायरों का ही होता है।

अम्पायरों द्वारा किये जाने वाले कार्य (Cricket Umpire ke Kaam)

इन अम्पायरों को अन्य तथ्यों का भी भली प्रकार निरीक्षण करना होता है, जैसे – क्रीज पर विकेट उचित प्रकार से स्थित किये गये है या नहीं, धावन पथ को ठीक प्रकार से चिन्हित किया गया है या नहीं तथा खेल के मैदान की सीमाओ को सही प्रकार से तैयार किया गया है या नहीं। यही अधिकारी इस तथ्य को सुनिश्चित करते है कि खेल के दौरान प्रयोग किये जाने वाले सभी उपकरण नियमो के अनुसार निर्मित किये गये है। सभी खिलाड़ियों की क्रियाओ का गहन निरीक्षण करना तथा प्रतियोगिता को नियन्त्रित करने का कार्य अम्पायरों द्वारा ही किया जाता है।

खेल आयोजित करने के लिए परिस्थितिया अनुकूल है या नहीं, इसका निर्णय लेने का अधिकार भी इन्ही अम्पायरों का होता है। यदि उन्हें लगे कि पिच सही प्रकार से निर्मित नहीं की गयी है या मौसम की खराबी के कारण पर्याप्त रोशनी नहीं है, तो ऐसी स्थिति में वह खेल को रद्द भी कर सकते है। ऐसा करने से पूर्व उन्हें दोनों टीमों के कप्तानों की स्वीकृति लेना आवश्यक है। यदि कप्तान प्रतिकूल परिस्थितियों में भी खेल जारी रखने का निर्णय लेते है, तो ऐसी स्थिति में खेल को नहीं रोका जाना चाहिए। परन्तु इस निर्णय के बाद परिस्थिति पहले की अपेक्षा अधिक ख़राब हो जाये, तो कप्तान अम्पायरों से मैच रोकने का आग्रह कर सकते है और यदि अम्पायरों को उचित लगे, तो वह उस समय भी खेल को रोकने का निर्णय ले सकते है।

यदि प्रतिकूल परिस्थितियो के कारण खेल को थोड़े समय के लिए स्थगित किया गया है, तो ऐसी स्थिति में सभी खिलाडी मैदान छोड़ देंगे, परन्तु अम्पायरों को थोड़े – थोड़े समय के अन्तराल पर मैदान का भली – भाति निरीक्षण करना चाहिए। यदि उन्हें लगे कि परिस्थिति में पहले की अपेक्षा सुधार हुआ है, तो वह प्रतियोगिता को पुनः आरम्भ करने आदेश दे सकते है।

प्रतियोगिता के दौरान उत्पन्न होने वाले सभी मतभेदों तथा अपीलों से सम्बन्धित निर्णय लेने का पूरा अधिकार अम्पायरों का होता है और उचित निर्णय लेने के लिए वह एक -दूसरे से विचार -विमर्श भी कर सकते है। अपने निर्णय को बताने के लिए अम्पायरों द्वारा विशेष प्रकार के संकेतों का प्रयोग किया जाता है, जो निम्न प्रकार से है –

Signals- Cricket Umpire ke Kaam

नो बॉल (Dead Ball)

यदि गेंदबाज गेंद फेकते समय अपना एक पांव गेंदबाज़ी क्रीज से आगे निकाल लेता है , तो उस स्थिति में डाली जाने वाली गेंद को नो बॉल माना जाता है। संकेत देने के लिए निर्णायक अपनी एक भुजा को पड़ी रेखा रूप में एक और फैलायेगा।

मृत गेंद (No Ball)

यदि गेंदबाज इस प्रकार से क्रिया करता है कि वह गेंद फेंकने वाला है, परन्तु किसी कारण वश गेंद नहीं फेंक पाता है, तो ऐसी स्थिति में गेंद को मृत समझा जाता है और इसको प्रदर्शित करने के लिए वह अपनी कलाई को कमर के नीचे आगे से पीछे की ओर झुलायेगा।

वाइड बॉल (Wide Ball)

यदि गेंदबाज द्वारा इस प्रकार से गेंद फेंकी जाये कि वह बल्लेबाजी क्रीज से बाहर की ओर जाये, तो उसे वाइड बॉल कहा जाता है और इसे प्रदर्शित करने के लिए अम्पायर अपनी दोनों बाहों को पड़ीं रेखा रूप में फैलायेगा।

बाई (By)

यदि गेंदबाज सही प्रकार से गेंद फेंकता है, परन्तु फिर भी बल्लेबाज उसे बल्ले की मदद से हिट नहीं कर पाता और गेंद उसके पास से होते हुए दूर निकल जाये, जिससे वह रन बना ले, तो ऐसी स्थिति को बाई कहा जाता है। इसे प्रदर्शित करने के लिए अम्पायर सिर से ऊपर अपने हाथों को खोलकर उठाता है।

चौक्का (Four)

जब बल्लेबाज द्वारा गेंद को इस प्रकार हिट किया जाता है कि वह खेल के मैदान की सीमा को स्पर्श कर ले, तो बल्लेबाज को चार अंक दिये जाते है। इस प्रकार की स्थिति को प्रदर्शित करने के लिए अम्पायर अपने एक हाथ को एक ओर से दूसरी ओर झुलायेगा।

छक्का (Six)

जब बल्लेबाज गेंद को इस प्रकार हिट करता है कि वह सीधे खेल की मैदान की सीमा के ऊपर मैदान पर बिना टप्पा खाये उछल जाये। इसके लिए बल्लेबाज को छह अंक दिये जाते है और इसे प्रदर्शित करने के लिए अम्पायर अपनी दोनों भुजाओं को सिर से ऊपर उठाता है।

आउट (OUT)

जब कोई खिलाडी किसी भी प्रकार आउट हो जाता है, तो उसे प्रदर्शित करने के लिए अम्पायर अपने एक हाथ की एक अंगुली को सिर के ऊपर उठायेगा।

पगबाधा (LBW)

इस प्रकार की स्थिति में गेंद खिलाडी की टांगो में बधे पैड को स्पर्श करती है, परन्तु बल्लेबाज दौडकर रन ले लेता है। इसे प्रदर्शित करने के लिए अम्पायर द्वारा एक टांग का घुटना उठाया जाता है और वह उसे अपने हाथ से स्पर्श करता है।

खेल के अन्तिम घण्टे की सूचना देना

जब खेल समाप्त होने में एक घण्टे का समय शेष रह जाये, तो उसकी सूचना खिलाड़ियों को देने का कार्य भी अम्पायर ही करता है। इसके लिए वह अपने दूसरे हाथ को उठाकर कलाई को आगे करेगा।

बल्लेबाजी करने वाली टीम को पांच रन देना

इस प्रकार के रन उस स्थिति में दिये जाते है, जब क्षेत्ररक्षण करने वाली टीम का कोई खिलाड़ी किसी प्रकार की गलती करता है या नियमोँ का उल्लघंन करता है। इसके लिए अम्पायर अपने उस कन्धे पर हाथ रखेगा जो क्षेत्ररक्षण क्षेत्र की ओर होगा।

क्षेत्ररक्षण करने वाली टीम को पांच रन प्रदान करना

यदि बल्लेबाज कोई गलती करता है या किसी नियम का उल्लघंन करता है, तो ऐसी स्थिति में विपक्षी टीम को पांच रन प्रदान किये जायेंगे और इसे प्रदर्शित करने के लिए अम्पायर अपने कन्धे को दूसरे हाथ की मदद से बार -बार टेप करेगा।

शॉर्ट रन

इसके लिए अम्पायर अपनी भुजाओं को ऊपर की ओर मोड़ेगा तथा एक हाथ की अंगुली को अग्रभाग से कन्धे के पास लाते हुए ऊपरी भाग को स्पर्श करेगा।

नयी गेंद

यदि अम्पायर को लगे कि मैच में प्रयोग की जाने वाली गेंद को अधिक समय के लिए प्रयोग नहीं किया जा सकता है, तो वह गेंद बदलने का निर्णय ले सकता है। इसे प्रदर्शित करने के लिए वह गेंद को एक हाथ में पकड़ेगा और उस हाथ को अपने सिर के ऊपर ले जायेगा।

तीसरा अम्पायर

यदि अम्पायर किसी बात का निर्णय लेने में असमर्थ होता है, तो वह तीसरे अम्पायर की मदद की मांग कर सकता है। इसके लिए वह अपनी दोनों भुजाओं को इस प्रकार से घुमायेगा कि वह एक वृत्त को निर्मित करे। अम्पायर ऊपर बताये गये संकेतों को उस समय तक देता रहेगा, जब तक स्कोरर उन्हें देख नहीं लेता तथा उनका भली – भांति अनुमोदन नहीं कर लेता। यदि खेल में किसी प्रकार का कोई अन्तराल होता है, तो खेल की समाप्ति के बाद अम्पायर को स्कोर की शुद्धता को सुनिश्चित कर लेना चाहिए और यह जानकारी प्राप्त करनी चाहिए कि किस खिलाडी द्वारा कितने ओवरों में कितने रन अर्जित किये गये। वर्तमान समय में इन दो अम्पायरों के अतिरिक्त एक अन्य अम्पायर की व्यवस्था की जाती है, जिसे तीसरा अम्पायर कहा जाता है। यह अम्पायर मैदान में उपस्थित नहीं होता, अपितु स्टेडियम में ही निर्मित एक हॉल या कमरे में बैठकर मैच का भली प्रकार से निरीक्षण करता है। इसके लिए उसके कक्ष में अनेक यान्त्रिक उपकरणों का प्रबन्ध किया जाता है। इस अम्पायर का मुख्य कार्य उन तथ्यों अथवा मतभेदों को सुलझाने में मदद देना होता है, जिन्हें दोनों अम्पायर सुलझाने में असमर्थ होते है।
यह अम्पायर अपने निर्णय को दो बत्तियों के द्वारा प्रदर्शित करता है। यदि इसका निर्णय नकरात्मक होता है, तो वह लाल रंग की बत्ती दिखाता है, जब कि सकरात्मक निर्णय के लिए हरे रंग की बत्ती को दिखाया जाता है। तीसरे अम्पायर द्वारा दिया गया निर्णय सबसे ऊपर माना जाता है। कोई भी खिलाडी इसके विरूद्ध अपील नहीं कर सकता।

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